आखिर कार दो दशकों तक इंडिया में बिजनेस करने के बाद अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने इंडिया से अपना बोरिया बिस्तर समेत लिया है ,जिसका इंडियन ग्राहक कबसे कयास लगा रहे थे।
हर भारतीय ग्राहक फोर्ड की गाड़ी खरीदते समय इसी बात से डरता था की कहीं कंपनी इंडिया छोड़कर चली न जाए, क्योंकि भाईसाहब फोर्ड की गाडियां अपने इंडिया में बिकती तो हैं नहीं। हम टिपिकल इंडियन लोग खरीदेंगे तो केवल एक कंपनी की ही गाड़ी वो मारुति सुजुकी की।
फोर्ड की मजबूती से हमे क्या लेना देना , माइलेज तो देती नही है। कोन पैट्रोल डलवा पाएगा ? सेकंड हैंड बेचने पर फोर्ड की गाड़ी कोन लेगा ? सर्विस इतनी महंगी कोन करा पाएगा ?
अरे मारुति को देखो सस्ती , सुन्दर, सुशील,और टिकाऊ । एवरेज तो इतना देती है की अब मारुति की गाड़ी टैक्सी में ही चलती है । सर्विस नेटवर्क तो देखो? लोकल मैकेनिक भी मारुति की गाड़ी बना सकता है।
अरे हमको क्या करना भैया टच स्क्रीन सिस्टम से , और बाकी फीचर्स से, और हमको क्या करना सेफ्टी से ,हमको तो बस एवरेज चाहिए , और सेकंड हैंड बेचो तो अच्छे दाम पर बिक जाय। ये सब हमे फोर्ड तो दे नही पाई तो कोन लेगा इनकी कार ।
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